फिर से कुछ लिखने का प्रयास
तुम मेरा जीवन - आकाश मिश्रा
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जीवन के इस अँधियारे में तुम बन के उजाला आ जाना
तर्पण करने के कर्म कांड मे तुम इस शापित को तर जाना
तर्पण करने के कर्म कांड मे तुम इस शापित को तर जाना
मेरे ह्रदय की बंजर धरती पर तुम पुष्पों की हो बेल सुनो
मनमीत बनाने की ख़ातिर तुम दिल से दिल का मेल बुनो
मेरे दिल के ताम्र पत्र में बनकर स्याही तुम लिख जाना
देखूँ जब चाँद सितारों को बनकर माही तुम दिख जाना
मनमीत बनाने की ख़ातिर तुम दिल से दिल का मेल बुनो
मेरे दिल के ताम्र पत्र में बनकर स्याही तुम लिख जाना
देखूँ जब चाँद सितारों को बनकर माही तुम दिख जाना
ह्रदय नयनों से देख मुझे मैं ही वो अव्यान हुँ
तेरे जीवन के ह्रदय पटल का मान हुँ सम्मान हूँ
माना तुम ज्ञान कुंड की देवी हो इशानवी
मेरा अविरल ध्यान धरा, मैं बस अकिंचन एक कवि
द्रवित नयन में रस गुलाब का बनके बस तुम आ जाना
मेरे इस नीरस जीवन को पुष्प बाग़ सा महकाना
तेरे जीवन के ह्रदय पटल का मान हुँ सम्मान हूँ
माना तुम ज्ञान कुंड की देवी हो इशानवी
मेरा अविरल ध्यान धरा, मैं बस अकिंचन एक कवि
द्रवित नयन में रस गुलाब का बनके बस तुम आ जाना
मेरे इस नीरस जीवन को पुष्प बाग़ सा महकाना
रूप तेरा अलौंकिक है और मैं बस सिफ़र एक प्रिये
ओ प्रियवर तू दूर ना होना तुझे पाने को कितने जतन किए
स्वप्न सुंदरी तू ही तो है दिल से दूर तू ना जाना
दूर अगर हो भी जाये तो वियोग गीत तू ना गाना
ओ प्रियवर तू दूर ना होना तुझे पाने को कितने जतन किए
स्वप्न सुंदरी तू ही तो है दिल से दूर तू ना जाना
दूर अगर हो भी जाये तो वियोग गीत तू ना गाना
आँखो में तेरी छवि बसी है हम तो ऐसे जी लेंगे
दूरी सहन ना होगी तो क्या, कड़वा घूँट समझ के पी लेंगे
इक अँधियारी रात पड़ी है तू चमक चाँदनी छिटकाना
इस अँधियारे को छटने तुम बन दीपक माला छा जाना
दूरी सहन ना होगी तो क्या, कड़वा घूँट समझ के पी लेंगे
इक अँधियारी रात पड़ी है तू चमक चाँदनी छिटकाना
इस अँधियारे को छटने तुम बन दीपक माला छा जाना
-आकाश मिश्रा
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