Saturday, December 22, 2018
Sunday, August 19, 2018
तस्वीरों के आइने -आकाश मिश्रा
तस्वीरों के आइने में अक़्स जो देखा हमने
मुस्कुराहट घोलता वो शख़्स जो देखा हमने
रश्क़े सक्श भी फ़िदायीन हो गये तुम पर
खिल गये गुलिस्ताँ मुत्मयीन रस्क़ जो देखा ग़म ने
मुत्मयीन - परिपूर्ण / भरोसा होना
रश्क़ - ईर्ष्या
रक़्स- नाच dance
मुत्मयीन रस्क़ - भरोसे को नाचते हुए देखा
मुस्कुराहट घोलता वो शख़्स जो देखा हमने
रश्क़े सक्श भी फ़िदायीन हो गये तुम पर
खिल गये गुलिस्ताँ मुत्मयीन रस्क़ जो देखा ग़म ने
मुत्मयीन - परिपूर्ण / भरोसा होना
रश्क़ - ईर्ष्या
रक़्स- नाच dance
मुत्मयीन रस्क़ - भरोसे को नाचते हुए देखा
Friday, August 17, 2018
पुरानी ऐनक -purani ainak
कुछ चीज़ें कभी पुरानी नहीं होतीं उन्हीं में से एक होती है हमारी ऐनक।
कभी अपनी तो कभी दूसरों की याद दिलाती हुई ये ऐनक न जाने कितनी यादें सहेज के रखती है।
साझा करें उन यादों को।
Collab करें YQ Didi के साथ।
#पुरानीऐनक
#yqdidi
#collab #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
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Sunday, August 12, 2018
संभवत: - आकाश मिश्रा
संभवत: - आकाश मिश्रा
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संभवत: जीवन की डोर अंत काल तक रह ना पाये
संभवत: तू बिछड़न की पीड़ अंत काल तक सह ना पाये
संभवत: ये धार प्रेम की अंत काल तक बह ना पाए
शायद नयन प्रमाणित कर दे जो अधरों से हम कह ना पाये
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संभवत: जीवन की डोर अंत काल तक रह ना पाये
संभवत: तू बिछड़न की पीड़ अंत काल तक सह ना पाये
संभवत: ये धार प्रेम की अंत काल तक बह ना पाए
शायद नयन प्रमाणित कर दे जो अधरों से हम कह ना पाये
Tuesday, June 12, 2018
मज़हब - आकाश मिश्रा
मज़हब - आकाश मिश्रा
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क्यूँ ये रिश्तों के बीच दीवारें पाट दीं
क्यूँ ये मज़हब की डोर धर्म से काट दीं
क्यूँ ये रोज़े उपवास ईद और दीवाली बाँट दी
रोशन ही तो था वो अनवर सूरज का
क्यूँ ये अंधेरे की चादर आँखो में छाँट दी
- आकाश मिश्रा
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Friday, June 1, 2018
द्रड़ निश्चय - आकाश मिश्रा
द्रड़ निश्चय - आकाश मिश्रा
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निकलो अब अंडे से कुछ तो करके दिखलाओ
कृष्ण नहीं बन सकते तो तुम अर्जुन ही बन जाओ
मार्ग वो दिखला देंगे तुम विश्वास तो यू ना खोओ
कर्म करो फिर फल कि सोचो यू बिन मतलब ना रोओ
ज़ोर लगा दो सपनो में की दिक मंडल मुड़ जायें
पंख लगा दो अरमानो में वो क्षितिज तक उड़ जायें
तोड़ दो उन बाधाओं को जो मस्तक में बैठा है
जोड़ लो श्रम का वो धागा जो जाने क्यूँ ऐंठा है
कब तक एक कुएँ में अपना जीवन यों झोंकोगे
कब तक आने वाले इन अवसर को यों रोकोगे
जगो उठो अब तो अपनी क्षमता को तुम पहचानो
छिपे हुए असफलता के डर को अपने तुम जानो
निर्णय तुमको लेना है ये जीवन की माला है
मत सोचो बच निकलोगे ये चिंतन की ज्वाला है
अब तो निश्चय कर लो द्रड़ अब तो तुम जी जाओ
कृष्ण नहीं बन सकते तो तुम अर्जुन ही बन जाओ
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- आकाश मिश्रा
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निकलो अब अंडे से कुछ तो करके दिखलाओ
कृष्ण नहीं बन सकते तो तुम अर्जुन ही बन जाओ
मार्ग वो दिखला देंगे तुम विश्वास तो यू ना खोओ
कर्म करो फिर फल कि सोचो यू बिन मतलब ना रोओ
ज़ोर लगा दो सपनो में की दिक मंडल मुड़ जायें
पंख लगा दो अरमानो में वो क्षितिज तक उड़ जायें
तोड़ दो उन बाधाओं को जो मस्तक में बैठा है
जोड़ लो श्रम का वो धागा जो जाने क्यूँ ऐंठा है
कब तक एक कुएँ में अपना जीवन यों झोंकोगे
कब तक आने वाले इन अवसर को यों रोकोगे
जगो उठो अब तो अपनी क्षमता को तुम पहचानो
छिपे हुए असफलता के डर को अपने तुम जानो
निर्णय तुमको लेना है ये जीवन की माला है
मत सोचो बच निकलोगे ये चिंतन की ज्वाला है
अब तो निश्चय कर लो द्रड़ अब तो तुम जी जाओ
कृष्ण नहीं बन सकते तो तुम अर्जुन ही बन जाओ
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- आकाश मिश्रा
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Friday, May 25, 2018
उड़ान - आकाश मिश्रा
उड़ान - आकाश मिश्रा
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उड़ान अभी बाक़ी है जहांन अभी बाक़ी है
ख़्वाब अभी बाक़ी है आसमान अभी बाक़ी है
ज़ंजीरे हैं अनगिनत, जकड़ ले जितनी है तेरी हस्ती
कर कोशिशें ले आ तूफ़ान, ना डूबेगी मेरी कश्ती
फ़ासले हैं सामने बहुत मगर छलाँग अभी बाक़ी है
उड़ान अभी बाक़ी है जहान अभी बाक़ी है
-आकाश मिश्रा
Saturday, March 31, 2018
रफ़ू - आकाश मिश्रा
रफ़ू - आकाश मिश्रा
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ऐ रफूगर कर दे रफ़ू
रिश्तों में पड़ी दरार का
हमारी इक्षा बेशुमार का
देश में लड़ते हिंदू मुसलमान का
शिक्षा बाँटती विद्या की दुकान का
रिश्तों में पड़ी दरार का
हमारी इक्षा बेशुमार का
देश में लड़ते हिंदू मुसलमान का
शिक्षा बाँटती विद्या की दुकान का
ऐ रफूगर कर दे रफ़ू
ग़रीबी पे हँसती ज़रूरत का
अन्याय के ख़िलाफ़ खड़ी मूक मूरत का
जवानी में घुलते नशे के ग़ुबार का
धर्म को बाँटते पर्व और त्योहार का
ग़रीबी पे हँसती ज़रूरत का
अन्याय के ख़िलाफ़ खड़ी मूक मूरत का
जवानी में घुलते नशे के ग़ुबार का
धर्म को बाँटते पर्व और त्योहार का
ऐ रफूगर कर दे रफ़ू
राजनीति में बहकते युवाओं का
पर्चियों में लिखी महँगी दवाओं का
भूक से मरते किसान की बेबसी का
दूसरों के दुखो पर बढ़ती हमारी ख़ुशी का
राजनीति में बहकते युवाओं का
पर्चियों में लिखी महँगी दवाओं का
भूक से मरते किसान की बेबसी का
दूसरों के दुखो पर बढ़ती हमारी ख़ुशी का
ऐ रफूगर कर दे रफ़ू
इंसानियत में बढ़ती मतलब की दीवार का
बँटवारे और क्रोध के बढ़ते हुए ज्वार का
ऐ रफूगर कर दे रफ़ू, जोड़ दे इन फटी चिंदियों को
बना एक इंसान जोड़ दे जुदा बुर्क़े पगड़ी और बिंदियो को।
इंसानियत में बढ़ती मतलब की दीवार का
बँटवारे और क्रोध के बढ़ते हुए ज्वार का
ऐ रफूगर कर दे रफ़ू, जोड़ दे इन फटी चिंदियों को
बना एक इंसान जोड़ दे जुदा बुर्क़े पगड़ी और बिंदियो को।
- आकाश मिश्रा
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ख़ुशबू - आकाश मिश्रा
ख़ुशबू - आकाश मिश्रा
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एक बूँद गिरा दे ख़ुशबू कि, महका दे मेरा मन
सूना था मेरा दिल, बंजर था ये जीवन
सोम्य तेरे उस छूने भर से चहक पड़ी तन्हाई
हाए रे अब कहीं मार ना डाले मुझे ये तेरी जुदाई
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एक बूँद गिरा दे ख़ुशबू कि, महका दे मेरा मन
सूना था मेरा दिल, बंजर था ये जीवन
सोम्य तेरे उस छूने भर से चहक पड़ी तन्हाई
हाए रे अब कहीं मार ना डाले मुझे ये तेरी जुदाई
तारे तितली चिड़िया फूल लगने लगे हैं अच्छे
सारे मीठे प्यारे सपने लगने लगे हैं सच्चे
एक लफ़्ज़ तू रख होंटो पे जो बन जाए संगीत
बेढंगा ये कल्पित भी गाये नित नये सुरीले गीत
सारे मीठे प्यारे सपने लगने लगे हैं सच्चे
एक लफ़्ज़ तू रख होंटो पे जो बन जाए संगीत
बेढंगा ये कल्पित भी गाये नित नये सुरीले गीत
कथा कहानी उपवन घर का संगम हुआ जस पूरा
तुझ बिन प्रिये जीवन सार था अब तक बस अधूरा
राधा संग ज्यों नाचें कान्हा बन मोहित दीवाना
प्रेम का धागा पक्का है जो कब तक था अनजाना
-आकाश मिश्रा
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तुझ बिन प्रिये जीवन सार था अब तक बस अधूरा
राधा संग ज्यों नाचें कान्हा बन मोहित दीवाना
प्रेम का धागा पक्का है जो कब तक था अनजाना
-आकाश मिश्रा
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मेरा जहाँ
लफ़्ज़ों के बस का नहीं जज़्बातों का ये खेल है
बेमाना सब है बस तेरी रूह से मेरी रूह का ये मेल है
भूल पाना एक पल के लिए भी तुझको मुमकिन कहाँ
तू ही तो है मेरी आरज़ू, मेरी ज़िंदगी और मेरा सारा जहाँ
बेमाना सब है बस तेरी रूह से मेरी रूह का ये मेल है
भूल पाना एक पल के लिए भी तुझको मुमकिन कहाँ
तू ही तो है मेरी आरज़ू, मेरी ज़िंदगी और मेरा सारा जहाँ
हुनर - Akash mishra
सूरज पिघला के सोना करने का हुनर जानते हैं
सैलाबों को चीर समंदर को भरने का हुनर जानते हैं
सैलाबों को चीर समंदर को भरने का हुनर जानते हैं
जागते हुए सारी उम्र काटने का हुनर जानते हैं
मौत से क्या ज़िंदगी से भी डरने का हुनर जानते हैं
मौत से क्या ज़िंदगी से भी डरने का हुनर जानते हैं
तुम्हारी इक हँसी को मुक्कमल करने की ख़ातिर
तुमपर सौ बार मरके फिर मरने का हुनर जानते हैं
तुमपर सौ बार मरके फिर मरने का हुनर जानते हैं
-आकाश मिश्रा
ऋण - आकाश मिश्रा
ऋण - आकाश मिश्रा
जीवन तेरा ऋण है भारत, मैं सच्चा हिंदुस्तानी।।
नीले नभ में चमक रोशनी रंग है आसमानी।
चाँदी सोना हीरे मोती पन्ना पत्थर धानी।।
चाँदी सोना हीरे मोती पन्ना पत्थर धानी।।
हिम पर्वत सा मस्तक, चरण समुद्र का पानी।
पूजें इशा नानक अल्लाह, राम रूद्र शिवानी।।
पूजें इशा नानक अल्लाह, राम रूद्र शिवानी।।
ह्रदय विशाल पंजाब हिमाचल और पगड़ी राजस्थानी।
दोहे कबीर रसखान तुलसी के, गीत गाये मीरा दीवानी।।
दोहे कबीर रसखान तुलसी के, गीत गाये मीरा दीवानी।।
रोशन जिसकी सुबह सुनहरी, शाम बड़ी सुहानी।
मनमोहक सी लोरी माँ की और दादी की कहानी।।
मनमोहक सी लोरी माँ की और दादी की कहानी।।
जीवन तेरा ऋण है भारत, मैं सच्चा हिंदुस्तानी।।
- आकाश मिश्रा
कहानी - आकाश मिश्रा
इस बार कुछ पंक्तियाँ बाल मनुहारों के लिये:
कहानी - आकाश मिश्रा
आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊँ आज मैं एक कहनी
शेर है जंगल का राजा और मछली जल की रानी
शेर है जंगल का राजा और मछली जल की रानी
चंदा मामा टुक टुक देखें गायें प्यारे गीत
टिम टिम तारे चमके जैसे हो गयी उनकी जीत
टिम टिम तारे चमके जैसे हो गयी उनकी जीत
सूरज चाचू चम चम चमके देखो हो गयी भोर
चीं चीं बोले सोन चिरैया गाना गाए मोर
चीं चीं बोले सोन चिरैया गाना गाए मोर
ऊँची ऊँची चढ़ी गिलहरी खाने गयी आम
यहाँ वहाँ वो उचके कूदे सुबह से लेके शाम
यहाँ वहाँ वो उचके कूदे सुबह से लेके शाम
छुक छुक करती रेल चली है ख़ूब मचाए शोर
चुक चुक दौड़ा चुन्नु चूहा दाँत से काटे डोर
चुक चुक दौड़ा चुन्नु चूहा दाँत से काटे डोर
टक टक जब तुम ऊपर देखो जहाँ वो नभ है नीला
झम झम करके पानी बरसे कर दे हम को गीला
झम झम करके पानी बरसे कर दे हम को गीला
आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊँ आज मैं एक कहनी
शेर है जंगल का राजा और मछली जल की रानी
शेर है जंगल का राजा और मछली जल की रानी
- आकाश मिश्रा
शहादत - आकाश मिश्रा #poetakash #shaheed #shahadat #akash
हाल ही में जो आतंकी हमले सेना पर हुए और हमारे सैनिक शहीद हुए उसी से क्रोधित एक शहीद की बेवा द्वारा कहे शब्दों को आकाश मिश्रा की क़लम से कुछ पंक्तियाँ:
कल ही तुमसे मिलन हुआ था फिर आज कहाँ को खो गए तुम
कितनो को तुमने द्रवित किया और गहरी नींद मे सो गए तुम
रुद्र रूप धर तुमने कितने राक्षसो को हर डाला
कायर छिपे भेड़ियों ने जाने ये कैसे कर डाला
कितनो को तुमने द्रवित किया और गहरी नींद मे सो गए तुम
रुद्र रूप धर तुमने कितने राक्षसो को हर डाला
कायर छिपे भेड़ियों ने जाने ये कैसे कर डाला
गीदड़ सारे मिले और एक सिंह से जा लिपटे
दहाड़ तुम्हारी सुन सोचे इन शेरो से कैसे निबटे
फिर वो छिपे रात में , हर इक कायर दूजे के साथ हुआ
जब सिंह हमारे सो रहे थे तब चुपके से उनपर घात किया
दहाड़ तुम्हारी सुन सोचे इन शेरो से कैसे निबटे
फिर वो छिपे रात में , हर इक कायर दूजे के साथ हुआ
जब सिंह हमारे सो रहे थे तब चुपके से उनपर घात किया
दिखा दिया की सोते शेर भी सौ कुत्तों से भारी होते हैं
मार गिराया उन सबको अब हम गहरी नींद में सोते हैं
तुमने कर्तव्य निभाया और दुश्मनो को दूर किया
ना छोड़ना भारत तुम उनको जिसने मेरा सिंदूर लिया
मार गिराया उन सबको अब हम गहरी नींद में सोते हैं
तुमने कर्तव्य निभाया और दुश्मनो को दूर किया
ना छोड़ना भारत तुम उनको जिसने मेरा सिंदूर लिया
उस शासक की अब नींद खुले जो शांति का पाठ पढ़ाते हैं
ख़ुद तो कुछ कर नहीं सकते सेना का मज़ाक़ उड़ाते हैं
उनको भी औक़ात दिखा दो और ज़मीन पर ला धर दो तुम
ईमान तो पहले खोकर बैठे वो अब नाम तक उनका कर दो गुम
ख़ुद तो कुछ कर नहीं सकते सेना का मज़ाक़ उड़ाते हैं
उनको भी औक़ात दिखा दो और ज़मीन पर ला धर दो तुम
ईमान तो पहले खोकर बैठे वो अब नाम तक उनका कर दो गुम
जीवन तो मेरा शून्य हुआ अब कैसे इसको मैं काटूँगी
ग़लती ख़ुद करके बतलाओ अब किसको मैं डाँटूगी
मृत्यु शैया को गले लगा के कितने जीवन जी गए तुम
काटा दिन को पहले और इसे अनंत रात से सी गए तुम
ग़लती ख़ुद करके बतलाओ अब किसको मैं डाँटूगी
मृत्यु शैया को गले लगा के कितने जीवन जी गए तुम
काटा दिन को पहले और इसे अनंत रात से सी गए तुम
कल ही तुमसे मिलन हुआ था फिर आज कहाँ को खो गए तुम
कितनो को तुमने द्रवित किया और गहरी नींद मे सो गए तुम
कितनो को तुमने द्रवित किया और गहरी नींद मे सो गए तुम
-आकाश मिश्रा
तुम मेरा जीवन - आकाश मिश्रा
फिर से कुछ लिखने का प्रयास
तुम मेरा जीवन - आकाश मिश्रा
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जीवन के इस अँधियारे में तुम बन के उजाला आ जाना
तर्पण करने के कर्म कांड मे तुम इस शापित को तर जाना
तर्पण करने के कर्म कांड मे तुम इस शापित को तर जाना
मेरे ह्रदय की बंजर धरती पर तुम पुष्पों की हो बेल सुनो
मनमीत बनाने की ख़ातिर तुम दिल से दिल का मेल बुनो
मेरे दिल के ताम्र पत्र में बनकर स्याही तुम लिख जाना
देखूँ जब चाँद सितारों को बनकर माही तुम दिख जाना
मनमीत बनाने की ख़ातिर तुम दिल से दिल का मेल बुनो
मेरे दिल के ताम्र पत्र में बनकर स्याही तुम लिख जाना
देखूँ जब चाँद सितारों को बनकर माही तुम दिख जाना
ह्रदय नयनों से देख मुझे मैं ही वो अव्यान हुँ
तेरे जीवन के ह्रदय पटल का मान हुँ सम्मान हूँ
माना तुम ज्ञान कुंड की देवी हो इशानवी
मेरा अविरल ध्यान धरा, मैं बस अकिंचन एक कवि
द्रवित नयन में रस गुलाब का बनके बस तुम आ जाना
मेरे इस नीरस जीवन को पुष्प बाग़ सा महकाना
तेरे जीवन के ह्रदय पटल का मान हुँ सम्मान हूँ
माना तुम ज्ञान कुंड की देवी हो इशानवी
मेरा अविरल ध्यान धरा, मैं बस अकिंचन एक कवि
द्रवित नयन में रस गुलाब का बनके बस तुम आ जाना
मेरे इस नीरस जीवन को पुष्प बाग़ सा महकाना
रूप तेरा अलौंकिक है और मैं बस सिफ़र एक प्रिये
ओ प्रियवर तू दूर ना होना तुझे पाने को कितने जतन किए
स्वप्न सुंदरी तू ही तो है दिल से दूर तू ना जाना
दूर अगर हो भी जाये तो वियोग गीत तू ना गाना
ओ प्रियवर तू दूर ना होना तुझे पाने को कितने जतन किए
स्वप्न सुंदरी तू ही तो है दिल से दूर तू ना जाना
दूर अगर हो भी जाये तो वियोग गीत तू ना गाना
आँखो में तेरी छवि बसी है हम तो ऐसे जी लेंगे
दूरी सहन ना होगी तो क्या, कड़वा घूँट समझ के पी लेंगे
इक अँधियारी रात पड़ी है तू चमक चाँदनी छिटकाना
इस अँधियारे को छटने तुम बन दीपक माला छा जाना
दूरी सहन ना होगी तो क्या, कड़वा घूँट समझ के पी लेंगे
इक अँधियारी रात पड़ी है तू चमक चाँदनी छिटकाना
इस अँधियारे को छटने तुम बन दीपक माला छा जाना
-आकाश मिश्रा
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